हमलोगों के लिए यह महापर्व है। मेरे घर में पहले से ही छठ पूजा होता रहा है। सीख-सीखकर मैं कर रही हूं। गलती से भी कोई गलती छठ में नहीं हो, इसका ध्यान रखूंगी। मैं सभी के लिए प्रार्थना करूंगी कि जीवन में खूब खुशियां आए और दुख की कोई छाया नहीं पड़े।
छठ में लड़कियों का सबसे ज्यादा योगदान
उन्होंने आगे कहा कि समाज में अभी भी बेटा-बेटी में फर्क है। कई जगहों पर मानसिकता बदली नहीं है। बेटी काहे न बहंगिया उठाए…ये गीत जब हम लेकर आए तो लोगों ने कहा हमारे गांव में बेटियां बहंगी उठाती हैं। छठ में नहाय खाय से लास्ट तक लड़कियों का ही सबसे ज्यादा योगदान होता है।
इस साल मैं अलग थॉट लेकर आ रही हूं कि लड़कियां हर चीज करने में सक्षम हैं। इस गीत को सुनिए। हमेशा से छठ बेटों के लिए किया गया है, लेकिन मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है। मैं छठ इसलिए कर रही हूं कि मन में फीलिंग है कि इसे करना चाहिए। लड़कियां भी होकर आगे बढ़ें और बहंगी उठाए
छठ महापर्व पर लोगों को बधाई देते हुए अक्षरा सिंह ने कहा कि इससे हमारा इमोशन अधिक है। उम्मीद करती हूं कि छठ के गाने आपको पसंद आएंगे। अपने लिए मैंने एक गाना डेडिकेट किया है।
उन्होंने गीत गाकर भी सुनाया। मैं तो गोल मटोल, दुबले पिया, सासु क्या खाकर इन्हें पैदा किया। ये गाना सारेगामा भोजपुरी से आया है। कहे तोसे सजना...कि तोहरी सजनिया। इसके अलावा अक्षरा इंटरटेनमेंट से एक और गाना आया है। तू त जनमो से प्यारा बाड़ा हो... तू त जीये के सहारा बाड़ा हो।