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बाल मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह 7 मई से 13 तक राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी में
बिलासपुर / प्रत्येक वर्ष बाल मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह मई माह में 7 से 13 तारीख तक मनाया जाता है। बाल मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह का पहला दिन 7 मई होता है वर्ष 2005 में यूनाइटेड स्टेट के The Substance Abuse and Mental Health Services Administration (SAMHSA) के द्वारा बाल मानसिक जागरूकता दिवस की शुरुआत की गई जिसमें बच्चों एवं युवाओ के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए लोगो को शिक्षित किया गया जिससे बच्चों एवं युवाओ में होने वाले मानसिक रोग से संबन्धित चुनौतियों को दूर करने की कोशिश की गई।
हमारे आसपास मौजूद चुनौतीपूर्ण बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए दिनचर्या कि समस्याओं में मदद की जा सकती हैं हम बाल मानसिक स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक कार्यक्रम कर सकते हैं जिसमें मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धित रोगों के बारे में जागरूकता ला सकते हैं समाज मे फैले कलंक और अंधविश्वास को दूर कर सकते हैं
आधुनिक समाज में मानसिक स्वास्थ्य एक गम्भीर समस्या है
C.D.C के आंकड़ों के अनुसार 2 से 8 वर्ष के बच्चों के बीच 6 में से 1 बच्चा मानसिक और व्यवहारिक समस्याओं से ग्रसित हैं। दुनिया मे बच्चे सबसे बहुमूल्य माने जाते हैं। जो बच्चे गम्भीर मानसिक बीमारियों और तीव्र भावुकता से संबन्धित समस्याओं से ग्रसित होते हैं उन्हें पूरे समय देखभाल एवं इलाज की आवश्यकता होती है। बच्चों में अनेक प्रकार की मानसिक एवं व्यवहारिक समस्या देखी गई है जैसे कि A.D.H.D, ऑटिज्म , मानिसक विकार एवं मस्तिष्क का असामान्य विकास आदि।
प्राचीन काल में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित दशाओं के लिए सुचारू रूप से इलाज एवं निदान उपलब्ध नहीं होता था। मानसिक इलाज के लिए लोगो द्वारा धार्मिक तरीकों एवं झाड़ फूंक को अपनाया जाता था पांचवी सदी में Hippocrates के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के सुधार लिए अहम योगदान दिया गया। उसने द्वारा बीमार व्यक्ति के व्यवसायिक एवं पर्यावरणीय वातावरण में बदलाव किया गया और कभी-कभी इसके लिए दवाओं का उपयोग भी किया गया।
बाल मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता दिवस हर साल 7 मई को बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. बच्चे के पूर्ण विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है. बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य (Children's Mental Health) का ध्यान रखने के लिए पेरेंट्स को जागरुक और सतर्क रहने की जरूरत है. हम यहां कुछ टिप्स शेयर कर रहे हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं.
1.बच्चों की भावनाओ को समझें
बच्चों पर अपने फैसले थोपने की बजाय उनके भावनाओ और फीलिंग्स को समझने की कोशिश करें. उन्हें अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रेरित करें. ये जानने की कोशिश करें कि उनके साथ या उनके आसपास क्या हो रहा है।
2.बच्चे को सुरक्षित महसूस कराएं
अपने घर को एक ऐसी जगह बनाएं जहां आपका बच्चा सुरक्षित महसूस करे और उसे प्यार मिलें. बच्चों के लिए अपने माता-पिता के साथ बातचीत करने के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाना जरूरी है. इससे बच्चे के भावनात्मक विकास को मजबूती मिलती है।
3.बच्चों के रूचियो को समझें
कई बार स्कूल, पढ़ाई और परीक्षा आपके बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है, इसलिए उन्हें ब्रेक देना जरूरी है एवं बच्चो को अपनी क्षमताओं को विकसित करने में मदद मिलेगी।
4.सोशल मीडिया का उचित उपयोग
आज के समय में, सोशल मीडिया का आपके बच्चे के स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से खुद को परिचित कराएं और कम उम्र से ही अपने बच्चों के साथ सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान के बारे में बातचीत करें.
5.ध्यान और योग
बच्चे को योग और व्यायाम सिखाएं उसकी अहमियत भी बताएं. ये बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही उनके पूर्ण स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.
बाल मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह 7 मई से 13 तक राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी में,
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