यूट्यूब है क्या (What is youtube)
यूट्यूब दरअसल एक तरह का सोशल साइट्स है, जिसका मुख्य फीचर है ‘वीडियो’. इस साईट में लगभग हर तरह के वीडियो हर तरह की फ़िल्में संचित होती हैं, जिन्हें इन्टरनेट के ज़रिये चलाया जा सकता है और देख कर उसका आनंद लिया जा सकता है. ये अमेरिका के सैन ब्रूनो में स्थित वीडियो शेयरिंग वेबसाइट है. ये आज से लगभग 12 साल पहले 14 फ़रवरी 2005 को अस्तित्व में आया था. अभी इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है और ये गूगल के सहायक कंपनी के तौर पर काम करता है. इस वेबसाइट पर एक आम आदमी भी अपना ख़ास चैनल बनाकर वीडियो अपलोड, पोस्ट, रेट, शेयर, रिपोर्ट आदि कर सकता है. यदि किसी का कोई पसंदीदा टीवी डेली सोप छूट जाता है, तो वह अपने समय के हिसाब से बहुत आसानी से वो छुटा हुआ एपिसोड देख सकता है. सबसे अच्छी बात ये है कि इसे चलाने ने लिए कोई ख़ास पंजीकरण या अकाउंट नहीं बनाना पड़ता, हाँ यदि वीडियो केवल वयस्कों के लिए हो तो इसके लिए वयस्क होने का प्रमाण अपनी ई- मेल आई डी देकर दिया जा सकता है. इस वेबसाइट पर विभिन्न तरह के टीवी शो, रियलिटी शो, म्यूजिक वीडियो, शोर्ट फ़िल्में, डाक्यूमेंट्री फ़िल्में, ऑडियो रिकॉर्डिंग्स, लाइव परफॉरमेंस, मूवी ट्रेलर आदि अपलोड किये हुए होते हैं. यहाँ पढ़ें.
यूट्यूब के इतिहास पर एक नज़र (Youtube history)
यूट्यूब, चैड हर्ले, स्टीव चैन और जावेद करीम द्वारा स्थापित कंपनी है. ये तीनों पहले ‘पेपल’ में कार्यरत थे. हर्ले ने इंडिआना यूनिवर्सिटी से डिज़ाइन की एवं चैन और करीम ने इलेनॉइस यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस की पढाई की थी. इन लोगों को लेकर एक घटना का ज़िक्र बार बार मीडिया में आता रहा है. इसके अनुसार चैन के अपार्टमेंट में एक पार्टी के दौरान दोनों दोस्तों ने कुछ वीडियो शूट किया था, लेकिन वे ये वीडियो किसी और के साथ साझा नहीं कर पा रहे थे. इस परेशानी से तंग आकर दोनों को वीडियो सबसे शेयर करने की एक ऐसी तरकीब सूझी, जो बाद में यूट्यूब के रूप में सबके सामने आई. करीम के अनुसार सन 2004 में जेनेट जैक्सन के ‘सुपर बाउल इंसिडेंट’ और 2004 में हिन्द महासागर में आये सुनामी के दौरान उसके मन में यूट्यूब का विचार आया. दरअसल करीम को इन दोनो में से किसी का भी वीडियो क्लिप नहीं मिल पा रहा था, वीडियो न मिल पाने के कारण उसने एक ऐसे साईट की कल्पना की, जिसकी सहायता से वीडियो बहुत आसानी से शेयर हो सके. चैन और हर्ले के अनुसार यूट्यूब का ओरिजिनल आईडिया एक ऑनलाइन डेटिंग सर्विस वेबसाइट और ‘हॉट और नोट” को देख कर आया था....
ये कम्पनी एक बहुत बड़े बजट के साथ शुरू हुआ. लगभग 11 मिलियन डॉलर के साथ इसकी शुरुआत हुई थी. ये नवम्बर 2005 से अप्रैल 2006 के बीच का समय था. इसका शुरूआती हेड क्वार्टर कैलिफ़ोर्निया के सैन मटो में स्थित एक जापानी रेस्टोरेंट के ऊपर था. इसका शुरूआती डोमेन नाम था www.youtube.com, जो 14 फ़रवरी 2005 को शुरू हुआ था. इस वेबसाइट का पहला वीडियो ‘मी एट द जू’ के नाम से था, जिस वीडियो में कंपनी के संस्थापकों में से एक जावेद करीम, सैन डिएगो के एक चिड़ियाघर में देखे जाते हैं. ये वीडियो 23 अप्रैल 2005 को वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, जिन्हें बारह साल के बाद भी बड़ी दिलचस्पी से देखा जा रहा है. इसी साल मई के महीने के आस- पास इसमें ऐसे फीचर डाले गये, जिससे आम लोग भी बहुत आसनी से वीडियो देख सकें. इस वेबसाइट पर नाइक का एक प्रचार वह पहला वीडियो बना, जिसे लगभग एक मिलियन व्यूज मिले. इस प्रचार में रोनाल्डिन्हो ने काम किया था. इस साल नवम्बर के महीने में सेक्विया कैपिटल ने 3.5 मिलियन डॉलर यूट्यूब पर लगाए. इससे यूट्यूब और भी मजबूत हो गया. इस दौरान यूट्यूब पर एक दिन में लगभग आठ मिलियन व्यूज आ रहे थे. ये वेबसाइट बहुत तीजी से विकास कर रही थी. जुलाई 2006 में कंपनी ने ये घोषणा की कि इसपर रोज़ 65,000 नये वीडियोस अपलोड किये जा रहे है. इसके बाद रोज़ यूट्यूब के वीडियो को लगभग 100 मिलियन व्यूज मिलने लगे थे.
2014 में कंपनी ने ये घोषणा की है कि इस वेबसाइट पर प्रति मिनट लगभग 300 घंटे के वीडियो अपलोड किये जाते हैं, ये आंकड़ा एक साल पहले के आंकड़े के तीन गुणा था. आश्चर्य की बात ये है कि इसका एक तिहाई हिस्सा अमेरीका के बाहर से यूट्यूब के लिए आता है. प्रत्येक महीने इस वेबसाइट को लगभग 800 मिलियन दर्शक मिलते हैं. दिसम्बर 2016 तक के अनुसार यूट्यूब विश्व का दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला वेबसाइट और विश्व का नंबर एक का टीवी वेबसाइट है.
यूट्यूब के कुछ आवश्यक विशेषताएँ (Youtube Features)
- प्लेबैक : शुरू के समय यूट्यूब के वीडियो चलाने के लिए एडोब फ़्लैश प्लेयर प्लग- इन का इस्तेमाल होता था. जनवरी 2010 में यूट्यूब का एक प्रयोगात्मक वर्शन आया, जिसे चलाने के लिए किसी अलग सॉफ्टवेयर की ज़रुरत नहीं होती थी. इस वर्शन से यूट्यूब का इस्तेमाल बहुत आसन हो गया. इसके बाद यूट्यूब को कई अन्य ब्राउज़र में चलाना बहुत आसन हो गया.
- अपलोडिंग : कोई भी यूट्यूब प्रयोगकर्ता शुरूआती समय में अधिक से अधिक पंद्रह मिनट की वीडियो अपलोड कर सकता है. इसके बाद उनकी वीडियो की क्वालिटी और लोगों की प्रतिक्रिया को देखते हुए उन्हें अधिकतम बारह घंटे तक की वीडियो अपलोड करने की इजाज़त दी जा सकती है. शुरूआती समय में ऐसी कोई सीमा नहीं थी, पर कालांतर में देखा गया कि लोग कई बिना मतलब के वीडियो और लम्बे-लम्बे टीवी शोज अपलोड करने लगे हैं. इसे देखते हुए मार्च 2006 में इसकी समय सीमा दस मिनट की कर दी गयी और सन 2010 में ये समय सीमा बढ़ा कर पंद्रह मिनट की कर दी गयी. सबसे आधुनिक यूट्यूब के इस्तेमाल में 20 GB या उससे अधिक के वीडियो भेजे जा सकते हैं.
- क्वालिटी और वीडियो फॉर्मेट : यूट्यूब कई तरह के वीडियो फॉर्मेट को सपोर्ट करता है. इनमे AVI, MP4, MPEG-PS, FLV आदि हैं. यूट्यूब प्रारंभिक दौर में 320 बाई 240 पिक्सेल के रिसलूशन में मोनो MP3 फॉर्मेट के साथ वीडियो प्रस्तुत करता था. सन 2007 में मोबाइल में चलाने के लिए यूट्यूब ने 3GP फॉर्मेट के वीडियो भी उपलब्ध किये. 2008 में एक हाई क्वालिटी मोड डाला गया, जो 480 बाई 360 पिक्सेल के रिसोलयुशन के साथ वीडियो प्रस्तुत करता था. नवम्बर 2008 में 720p एच् डी सपोर्ट इसमें ऐड किया गया. इस तरह यूट्यूब के वीडियो का डाईमेंशन 4:3 से 16:9 का हो गया और चौड़े स्क्रीन में भी बहुत अच्छे से चलता रहा.
इन सबके अलावा थ्री डी वीडियो, 360 डिग्री वीडियो आदि भी यूट्यूब पर मौजूद हैं.
यूट्यूब से पैसे कमाने का तरीका (How to Earn Money From Youtube in hindi)
यूट्यूब कमाने का एक बहुत ही बेहतर जरिया बन चूका है. इसमें कई ऐसे सब्सक्राइबिंग प्लान हैं, जिसके ज़रिये यूट्यूब बहुत से वीडियो प्रचारों को ख़ुद ब ख़ुद एक अच्छे चैनल से जोड़ देता है, जिसका फायदा चैनल के मालिक को होता है. यूट्यूब से पैसा कमाने का तरीक़ा नीचे दिया जा रहा है.
- सबसे पहले यूट्यूब में लॉग इन करके एक चैनल बनाना होता है. ये चैनल्स व्यक्तिगत होते हैं, जिसे कोई और नहीं चला सकता. एक यूट्यूब अकाउंट के साथ एक चैनल बनाया जा सकता है. यूट्यूब अकाउंट एक गूगल अकाउंट की तरह होता है. यूट्यूब अकाउंट को गूगल के अन्य जगह से कनेक्ट किया जा सकता है जैसे गूगल ड्राइव या जी मेल. इस चैनल को एक बहुत ही रोचक टाइटल दे दिया जा सकता है, जिसके नाम से आम लोग चैनल को बहुत आसानी से ढूंढ पायेंगे. चैनल का नाम वीडियो के कंटेंट से सम्बंधित हो तो बहुत बेहतर होता है. आपके द्वारा इस्तेमाल हो रहा यूज़रनेम आपको बहुत प्रभावित करता है. नाम छोटा और असरदार होने पर लोग बहुत आसानी से याद रख सकते हैं, तथा अन्य लोगों से इसका ज़िक्र भी कर सकते हैं जिससे आपके चैनल का बहुत बेहतर प्रचार हो पायेगा. अगर पसंद न आया तो बाद में यूज़र नेम को बदला भी जा सकता है.
- अपलोड करने वाले को ये बात ध्यान में रखना चाहिए कि अपलोड की गयी चीज़ अच्छी क्वालिटी की हो, और अधिक लम्बी न हो. शुरूआत कैसी भी हो ,कोशिश ये होनी चाहिए कि हर अगला वीडियो पिछले वाले वीडियो से बेहतर हो.
- अपनी वीडियो क्वालिटी कई तरह से बेहतर बनाई जा सकती है. एक बहुत अच्छा कैमरा, उम्दा वीडियो संपादन, लाइटिंग आदि का विशेष ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है.
- बहुत कम समय अंतराल पर लगातार वीडियो अपलोड करते रहने से बहुत अच्छे संख्या में दर्शक जुट जाते हैं, जिस वजह से कमाई का जरिया और बेहतर होता जाता है.
- जितने अधिक दर्शक होंगे कमाई उतनी बढ़ेगी, इसलिए यूट्यूब का लिंक अपने फेसबुक, ट्वीटर तथा अन्य सोशल साइट्स के ज़रिये अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की कोशिश होनी चाहिए.
- दर्शकों के द्वारा की गयी टिप्पणियों पर अपना प्रतिउत्तर देते रहने से दर्शक बने रहते हैं. उनके सवालों, उनके विचारों और सुझाओं पर अमल करने से बहुत फायदा हो सकता है.
- यूट्यूब पर पैसा कमाने का सबसे मुख्य जरिया ये है कि यूट्यूब को अपने वीडियो पर ऐड डालने की अनुमति दी जाए. किसी वीडियो को अपलोड करने के बाद “मोनेटाईजिंग टैब” पर क्लिक करने से यूट्यूब को ख़ुद ब ख़ुद इसकी अनुमति मिल जाती है. इसी बॉक्स में उन सभी वीडियो के आगे दिए गए ‘$’ चिन्ह पर क्लिक करें. क्लिक किया गया वीडियो ‘मोनेटाईज़ड’ हो जाता है. उस पर एड आने लगते हैं और दर्शकों की संख्या में वृद्धि के साथ पैसा भी बढ़ता है.
- इसके साथ ‘गूगल एडसीन’ वेबसाइट पर एक अकाउंट बनाना पड़ता है. ये अकाउंट मुफ्त में ही बनता है. यहाँ यूट्यूब द्वारा मांगे गये सभी जानकारियों को देना होता है. यहाँ पर या तो एक ‘पेपल’ अकाउंट या एक अन्य बैंक अकाउंट की ज़रुरत पड़ती है. इसके साथ सब्सक्राइब करने वाले को अपना पता देना होता है. इन जानकरियों की सहायता से एडसीन ये पता करता है कि आप कौन हो और एडसीन किसे पैसे भेजेगा. दर्शकों द्वारा किये गये प्रति एड क्लिक पर और बहुत कम पैसे व्यूज पर मिलते हैं. यही वजह है कि यूट्यूब पर पैसे कमाने के लिए दर्शकों की संख्या बहुत अधिक होनी चाहिए.
- वीडियो बनाने के लिए यदि मुनासिब हो तो एक छोटी सी टीम बना कर काम बाँट लेना बहुत ज़रूरी होता है. इससे काम बहुत आसानी से बिना किसी टेंशन के साथ किया जा सकता है.
- समय- समय पर विश्लेषण की जांच करते रहना ज़रूरी है. यदि ऐसा लगे कि कंटेंट काम नहीं कर रहा है या चैनल मशहूर नहीं हो पा रहा है तो समय के साथ वीडियो का कंटेंट बदलना ज़रूरी होता है.
- यूट्यूब पर शुरू होने के बाद कई और भी जगहों पर अपने वीडियो की मार्केटिंग करनी ज़रूरी होती है. इसके लिए वेबसाइट या ब्लॉग बनाया जा सकता है. इसके अलावा और भी बहुत से सोशल साइट्स हैं जिनपर अपने वीडियोज शेयर किये जा सकते हैं.
- इन सब के साथ यूट्यूब में मेम्बरशिप भी ली जा सकती है. पार्टनर होने के कई फायदे होते हैं. एक यूट्यूब पार्टनर को यूट्यूब की तरफ से कंटेंट बनाने में कई मदद मिलती हैं, साथ ही पार्टनर होने पर बहुत से पुरस्कार भी जीते जा सकते हैं. वैसे पार्टनर होने के लिए किसी चैनल के वीडियो को अगले 90 दिनों में कम से कम पंद्रह हज़ार व्यूज मिलने चाहिए.
इस तरह यूट्यूब में अपना करियर ढूँढा जा सकता है.