रविवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रती सर पर दउरा रखकर छठ गीत गाते हुए जलता दीपक हाथ मे लेकर अपने घरों को लौट गए थे। रात दो बजे से ही एक बार फिर से एक-एक कर व्रती बैंड बाजे के साथ घाट पर लौटते दिखे। रविवार को जिस स्थान पर चौका बनाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया था, उसी स्थान पर वापस पूजा का दउरा सजाकर , गन्ने का मंडप बनाकर दीपदान करते हुए सूर्य देव की प्रतीक्षा की जाने लगी। मुहूर्त 6:21 पर श्रद्धालुओं ने सूर्य देव की आरती और उपासना आरंभ कर दी।
जैसे ही पूर्व दिशा में भगवान सूर्य देव की पहली झलक दिखी सभी चेहरे खिल उठे । सभी ने दूध और जल से सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करते हुए संतान प्राप्ति एवं संतान की मंगल कामना की। पारंपरिक साज श्रृंगार के साथ नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाई हुई व्रतियों ने पूरे विधि विधान के साथ सूर्य उपासना की। इस पूजा को देखने मानो तोरवा छठ घाट में पूरा शहर उमड़ पड़ा था। छठ घाट में इस अवसर पर 50 हजार से अधिक लोग जुटे। यहां तक कि तोरवा पुल पर भी पांव रखने की जगह नहीं थी। लोग पुल के ऊपर से ही इस अद्भुत दृश्य को निहारत रहे।
समिति की ओर से रही यह सुविधा
सोमवार प्रातः सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए छठ पूजा समिति की ओर से सभी व्रतधारियों को निशुल्क दूध एवं नारियल उपलब्ध कराया गया। करीब एक क्विंटल दूध प्रदान किया गया। इसके अलावा पूरे समय निशुल्क चाय की सेवा दी गई। पारंपरिक रूप से दीपदान के लिए भी समिति की ओर से दीपक उपलब्ध कराए गए। वही पूजा के पश्चात समिति की ओर से सभी को प्रसाद वितरित किया गया। आयोजन को सफल बनाने में छठ पूजा समिति के वॉलिंटियर्स , भारत स्काउट एंड गाइड , बिलासपुर पुलिस, नगर सेना के जवान पूरे समय तैनात रहे।