सुनामी न्यूज । बिलासपुर जिले की 6 विधानसभा सीटों का राजनीतिक विश्लेषण : क्या बागी बिगाड़ पाएंगे प्रमुख दलों का खेल ??

बिलासपुर जिले की 6 विधानसभा सीटों का राजनीतिक विश्लेषण : - क्या बागी बिगाड़ सकते खेल ??



बिलासपुर संभाग प्रदेश की राजनीति के लिहाज से हमेशा से मजबूत मानी जाती है। यहां समय-समय पर भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़ी पार्टियों ने अपना वर्चस्व दिखाया है। यह जिला प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के प्रभाव क्षेत्र वाला भी माना जाता है। यहां कई भाजपाई दिग्गजों का भी अपना व्यापक प्रभाव है। मसलन बिलासपुर के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, बिल्हा के वर्तमान बीजेपी विधायक-पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और बिलासपुर के सांसद (वर्तमान में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष) के व्यापक प्रभाव के कारण बिलासपुर जिला मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। 


वर्ष 2018 में कांग्रेस का 15 साल का 'वनवास' खत्म हुआ। प्रदेश में लंबे अरसे के बाद कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल प्रदेश के मुखिया बने।


 इस दौरान बिलासपुर जिले में सत्तारूढ़ कांग्रेस का व्यापक प्रभाव बढ़ा है। बात बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां नवोदित कांग्रेसी विधायक शैलेष पांडेय का राजनीतिक आभा तेजी से बढ़ा है। 

बिलासपुर  का सियासी गणित

बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र बीजेपी के दिग्गज नेता अमर अग्रवाल का एकाधिकार वाला क्षेत्र माना जाता था। इस मिथक को पिछले विधानसभा चुनाव में पांडेय ने बखूबी तोड़ दिया। जानकारों का मानना है कि बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को भेद पाना बीजेपी के लिये अब आसान नहीं होगा। 


बिल्हा का सियासी गणित

बिलासपुर से लगा हुआ बिल्हा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यह विधानसभा अबतक हर बार विधायक बदलने के ट्रेंड को अपनाता है। अगर यही ट्रेंड रहा तो ऐसा लगता है कि बिल्हा में अगला विधायक भी कांग्रेस का हो। फिलहाल, बिल्हा में सीटिंग एमएलए भाजपा के दिग्गज नेता धरमलाल कौशिक के खिलाफ ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है। यह बीजेपी के लिए राहत वाली बात है। 


 बेलतरा का सियासी गणित

बात मस्तूरी और बेलतरा की करें तो यहां फिलहाल बीजेपी का जलवा बरकरार है । बेलतरा के बीजेपी विधायक रजनीश सिंह का रिपोर्ट कार्ड ठीक ठाक  था  लेकिन बीजेपी ने अब शुुुशांत पर भरोसा जताया है बता दे कि पिछली बार  बेलतरा में बीजेपी को फायदा त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण मिला था । यहां जेसीसीजे की उपस्थिति ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन इस बार जब जेसीसीजे एक राजनीतिक ताकत के रूप में बहुत कमजोर नजर आ रही है, तो बेलतरा में बीजेपी-कांग्रेस के बीच बराबर के मुकाबले की संभावना दिख रही है। 


मस्तूरी का सियासी गणित

वहीं मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में फिलहाल बीजेपी के विधायक कृष्णमूर्ति बांधी के मुकाबले कांग्रेस की ओर से कोई सशक्त चेहरा सामने नहीं दिख रहा है। यहां पूर्व कांग्रेसी विधायक दिलीप लहरिया को टिकट मिल गया लेकिन  इस बात पर भी संशय है। मतलब अभी तक के राजनीतिक कैलकुलेशन के मुताबिक, मस्तूरी में बीजेपी कांग्रेस पर हॉबी  नजर आ रही है।

 तखतपुर  का सियासी गणित

कोटा और तखतपुर का समीकरण
वहीं कोटा और तखतपुर विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो यह दोनों विधानसभा जिले के महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में से माना जाता है। तखतपुर विधानसभा में लंबे अरसे के बाद कांग्रेस ने पिछले विधानसभा में फ़तह हासिल की थी, लेकिन यह जीत मामूली अंतर की जीत थी, इसलिए इस बार अगर कांग्रेस की सीटिंग एमएलए रश्मि सिंह को टिकट मिल गया है वही भाजपा ने वरिष्ठ नेता धरजीत सिंह पर भरोसा किया है  देखने वाली बात होगी कि जनता क्या परिणाम देती है हलाकि जानकारों की माने तो  कांग्रेस के लिए तखतपुर बचाना आसान नहीं होगा।

 यहां दोनों बड़ी पार्टियों के लिए उनका चेहरा बड़ी भूमिका अदा कर सकती है। 

पिछले बार यहां जेसीसीजे की उपस्थिति भी शानदार थी, इसलिए यहां वोट केवल एक राजनीतिक धारा की तरफ ध्रुवीकृत होगी, यह कहना आसान नहीं है।

कोटा का सियासी गणित
 वहीं कोटा विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार जेसीसीजे की प्रत्याशी रेणु जोगी ने त्रिकोणीय मुकाबले में शानदार वोटों से जीत हासिल की थी। यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक मानी जाती है क्योंकि यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। पहली बार कांग्रेस पार्टी को यहां झटका लगा था। ऐसे में संभावना है कि कोटा विधानसभा क्षेत्र फिर से कांग्रेस के हाथ आ जाये । जेसीसीजे का प्रभाव कमजोर होने का फायदा सत्ताधारी कांग्रेस को मिल सकता है। इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता ।

बीजेपी-कांग्रेस की स्थिति मजबूत, रहेगी कांटे की टक्कर
कुल मिलाकर बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा सीटों पर नजर दौड़ाए तो इस विधानसभा चुनाव में दोनों बड़ी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस की राजनीतिक ताकत बराबर की आंकी जा रही है। यानी न कांग्रेस 20 है ना बीजेपी 19 हालांकि कहीं बीजेपी कमजोर तो कहीं कांग्रेस की स्थिति पतली नजर आ रही है। इस प्रकार कह सकते हैं कि यहां पर बीेजेपी कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने से दोनों में कांटे की टक्कर हो सकती है। सीएम भूपेश बघेल की सरकार में बिलासपुर जिले से कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय लीडरशिप और प्रदेश स्तरीय नेतृत्व जरूर कमजोर देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में जिले से नेतृत्व का विस्तार इस बात पर निर्भर करता है कि प्रदेश में किसकी सरकार बनती है। अगर कांग्रेस जिले में बेहतर प्रदर्शन करती है तो संभावना है कि बिलासपुर जिले को राज्य या केंद्र में नेतृत्व का अवसर मिले। यदि प्रदेश में बीजेपी की सरकार आती है, तो बिलासपुर से केंद्र या राज्य में बीजेपी को नेतृत्व मिले इसकी संभावना अधिक दिख रही है। वही जनता कांग्रेस जे ओर आप पार्टी सहित कई दल मैदान में है लेकिन असर नही दिख रहा है ।


बिलासपुर जिले में कुल विधानसभा सीट
बिलासपुर
कोटा 
मस्तूरी
बेलतरा
बिल्हा
तखतपुर

ऐसे ही खबरों के लिए पड़ते रहिये सुनामी छत्तीसगढ़,,,,
 



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