विगत शुक्रवार को एक अनौपचारिक आयोजन में *लालित्य ललित रचनावली* का लोकार्पण हुआ। इस रचनावली का संपादन एवं संचयन सुपरिचित लेखक डॉ संजीव कुमार ने किया है।
किसी मौके पर देश के महत्वपूर्ण प्रकाशन संस्थान इंडिया नेटबुक्स के निदेशक डॉ संजीव कुमार ने लालित्य ललित रचनावली प्रकाशित करने की इच्छा प्रकट की थी। और डॉ लालित्य ललित के जन्मदिन पर रचनावली के आरंभिक छह खंडों को प्रकाशित कर समारोह में उपस्थित सभी लोगों को उन्होंने चौंका दिया।सनद रहे कि लालित्य ललित इस समय सर्वाधिक सक्रिय कवि वा चर्चित व्यंग्यकार है।
लालित्य ललित के अब तक 31 व्यंग्य संग्रह और 61 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके है।अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं के अन पर अंक पाठक जगत में चर्चा का विषय बने हुए हैं,जिसमें पुष्प गंधा,अनवरत और अनुस्वार प्रमुख हैं।
लालित्य ललित ने इस अवसर पर कहा कि लेखन मेरे लिए किसी प्रेम से कम नहीं,बल्कि यह कहना समीचीन होगा कि लेखन से उन्हें जहां ऊर्जा मिलती हैं वहीं आगे बढ़ने की जिजीविषा भी।
इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रताप सहगल, डॉ प्रेम जनमेजय, डॉ शशि सहगल, डॉ राजेश कुमार, श्री रणविजय राव, डॉ संजीव कुमार, डॉ मनोरमा कुमार, श्रीमती आशा कुंद्रा, श्रीमती राजेश्वरी मंडोरा और स्वयं डॉ लालित्य ललित उपस्थित थे।
रचनावली के लोकार्पण पश्चात डॉ संजीव कुमार ने घोषणा की कि अभी लालित्य ललित रचनावली के छह खंडों को प्रकाशित किया गया है। आने वाले समय में अन्य खंड भी प्रकाशित किए जाएंगे और तकरीबन 25 खंड तैयार होंगे।
डॉ संजीव ने यह भी घोषणा की कि ये खंड ऑनलाइन उपलब्ध होंगे और आगामी विश्व पुस्तक मेले में भी बिक्री हेतु उपलब्ध होंगे।
कड़कती ठंड के बीच इस अनौपचारिक आयोजन को उपस्थित प्रायः सभी साहित्यकारों ने अपने गीतों, गज़लों और कविताओं से यादगार बना दिया।
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