दो तेंदुए के सड़े गले शव मिलने से वन विभाग की कार्य शैली पर उठ रहे सवाल

दो तेंदुए के सड़े गले शव मिलने से वन विभाग की कार्य शैली पर उठ रहे सवाल

कसडोल । बार अभ्यारण्य से लगे लवन वन परिक्षेत्र अंतर्गत कल दो तेंदुए की सडे गले शव मिलने से वन विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग गया  है।ज्ञात हो कि कोई माह भर के भीतर ही देवपुर परिक्षेत्र में भी एक हाथी का सड़ा गला शव मिला था।दोनों ही मामलों में वन विभाग ने प्राणियों के पोस्टमॉर्टम करवा कर उनका अंतिम संस्कार करवा कर अपने कर्तव्य पूरे कर लिए है।


  मिली जानकारी के अनुसार
बलौदाबाजार वन मंडल के बार अभ्यारण्य से लगे वन परिक्षेत्र लवन अंतर्गत गुड़ागढ़ सर्किल के अल्दा बीट कक्ष क्रमांक 114 में दो तेंदुओं की मौत का गंभीर मामला सामने आया है।मिली जानकारी के अनुसार लवन वन परिक्षेत्र में अल्दा गांव के कक्ष क्रमांक 114 में तालाब के पास 10 मीटर की दूरी के अंतराल में दो तेंदुए की क्षत विक्षत सड़ी गली लाश मिली है।एक साथ दो तेंदुए की लाश मिलने से वन विभाग सहित आस पास क्षेत्र में ग्रामीण एवम वन्य जीव प्रेमी सकते में है।ज्ञात हो कि वन मंडल बलौदाबाजार में वन मंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल के आने के बाद 15 दिनों में ही शेड्यूल 01 के तीन वन्य प्राणी दो अलग अलग घटनाओं में मारे गए।
पहली घटना देवपुर वन परिक्षेत्र में घटी थी जहां वन रक्षक के निवास से चंद कदमो में ही एक विशालकाय हाथी करंट से मारा जाता है।इस घटना की जानकारी वन विभाग को तब मिली ज़ब हाथी जैसे विशाल प्राणी का शव सड़ कर दुर्गंध फैलाने लगा था।उक्त घटना में वन रक्षक को निलंबित कर प्रभारी रेंजर से रेंजर प्रभार ले लिया गया था।
   दूसरी घटना के बारे में कल रविवार को तब पता चला जब 2 तेंदुआ के शव की दुर्गंध जंगल से ग्राम तक पहुची।

।।जंगल गस्त पर प्रश्नचिन्ह।।

शेड्यूल 01 के वन्य प्राणियों की किसी भी कारण से मौत हो जाना गम्भीर घटना तो है ही परन्तु उससे भी गम्भीर घटना महीनों तक इसका पता वन कर्मीयो के माध्यम से वन अफसरों को नही लगना है।जानकर बताते है कि वन अमले को शिकार एवम अन्य वन अपराधों को रोकने के लिए प्रतिदिन वनों में गश्त अनिवार्य है।परन्तु दुर्गंध से वन्य प्राणियों की मौत का पता लगना यह बताता है कि अब वनो में गश्त नही की जाती बल्कि वन्य प्राणियों एवम वन संपदा को उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया है।

।।माह भर पूर्व हुई होगी मौत।।
 
घटना के बाद वन विभाग द्वारा अंतिम संस्कार के पूर्व पोस्टमॉर्टम करवाया गया।इसके अनुसार शव सड़ चुका था।जिससे दुर्गंध उठ रही थी।शिकार की सम्भावनाओ से पशु चिकित्सको ने इनकार करते हुए बताया कि दोनों तेंदुए वर्चस्व की लड़ाई में घायल ही गए होंगे।इससे ही दोनों तेंदुओं की  मौत हुई होगी।दोनों तेंदुओं के शव का पोस्टमॉर्टम के बाद पशु चिकित्सक लोकेश वर्मा के बताए अनुसार अभी वन प्राणियों अक्सर अपने वर्चस्व को लेकर आपस में अधिकतर लड़ाईयां होते रहते है,उसी प्रकार इन दोनों के बीच भी लड़ाईयां हुई होगी और जख्मी होने के कारण विचरण एवं भोजन नहीं कर पाने के कारण इनकी मौत हो जाने की संभावना है क्योंकि दोनों तेंदुओं के शरीर के सभी अंग मौजूद हैं। 
वन विभाग द्वारा शव परीक्षण एवं पोस्टमार्टम के बाद उच्च अधिकारियों के उपस्थिति एवं निशानुसार दोनों तेंदुओं के शव का विधिवत अंतिम संस्कार किया गया।
वन विभाग के रायपुर वृत्त मुख्य वन संरक्षक जनक राम नायक ,बलौदाबाजार वन मंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल , उप वन मंडलाधिकारी बलौदाबाजार अरविंद व्यास, बार नवापारा अधीक्षक आनंद कुंदरिया,वन परिक्षेत्राधिकारी लवन अनिल कुमार वर्मा ,वन परिक्षेत्राधिकारी बार कृषाणु चंद्राकर, वन परिक्षेत्राधिकारी कोठारी पवन सिन्हा एवं लवन वन परिक्षेत्र लवन के स्टॉफ मौके पर उपस्थित रहे।
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