सुनामी फाउंडेशन द्वारा मनाया गया विश्व एड्स दिवस

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बिलासपुर । एचआईवी/ एड्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है। एचआईवी से संक्रमित होने वाला पीड़ित जीवनभर के लिए इस वायरस से ग्रसित हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ उपाय बताएं हैं। वहीं एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसके माध्यम से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है।  एड्स को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी में औसत आयु भले ही कम हो जाती है लेकिन पीड़ित सामान्य जिंदगी जी सकता है। एड्स के प्रति जागरूकता और बचाव के तरीके की जानकारी होने के साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि एचआईवी का इतिहास क्या है। एचआईवी/ एड्स की उत्पत्ति कहां से हुई। एड्स दिवस मनाने की शुरुआत कब, क्यों और किसने की? आइए जानते हैं विश्व एड्स दिवस का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम।एचआईवी/ एड्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है। एचआईवी से संक्रमित होने वाला पीड़ित जीवनभर के लिए इस वायरस से ग्रसित हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ उपाय बताएं हैं। वहीं एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसके माध्यम से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है। एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी व्याप्त हैं, जिसे दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को जानकारी दी जाती है कि एड्स को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी में औसत आयु भले ही कम हो जाती है लेकिन पीड़ित सामान्य जिंदगी जी सकता है। एड्स के प्रति जागरूकता और बचाव के तरीके की जानकारी होने के साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि एचआईवी का इतिहास क्या है। एचआईवी/ एड्स की उत्पत्ति कहां से हुई। एड्स दिवस मनाने की शुरुआत कब, क्यों और किसने की? आइए जानते हैं विश्व एड्स दिवस का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम।एचआईवी/ एड्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है। एचआईवी से संक्रमित होने वाला पीड़ित जीवनभर के लिए इस वायरस से ग्रसित हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ उपाय बताएं हैं। वहीं एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसके माध्यम से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है। एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी व्याप्त हैं, जिसे दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को जानकारी दी जाती है कि एड्स को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी में औसत आयु भले ही कम हो जाती है लेकिन पीड़ित सामान्य जिंदगी जी सकता है। एड्स के प्रति जागरूकता और बचाव के तरीके की जानकारी होने के साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि एचआईवी का इतिहास क्या है। एचआईवी/ एड्स की उत्पत्ति कहां से हुई। एड्स दिवस मनाने की शुरुआत कब, क्यों और किसने की? आइए जानते हैं विश्व एड्स दिवस का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम।एचआईवी/ एड्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है। एचआईवी से संक्रमित होने वाला पीड़ित जीवनभर के लिए इस वायरस से ग्रसित हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ उपाय बताएं हैं। वहीं एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसके माध्यम से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है। एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी व्याप्त हैं, जिसे दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को जानकारी दी जाती है कि एड्स को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी में औसत आयु भले ही कम हो जाती है लेकिन पीड़ित सामान्य जिंदगी जी सकता है। एड्स के प्रति जागरूकता और बचाव के तरीके की जानकारी होने के साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि एचआईवी का इतिहास क्या है। एचआईवी/ एड्स की उत्पत्ति कहां से हुई। एड्स दिवस मनाने की शुरुआत कब, क्यों और किसने की? आइए जानते हैं विश्व एड्स दिवस का इतिहास, महत्व और इस साल की थीम।
एचआईवी/ एड्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है। एचआईवी से संक्रमित होने वाला पीड़ित जीवनभर के लिए इस वायरस से ग्रसित हो जाता है। हालांकि विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचने के कुछ उपाय बताएं हैं। वहीं एड्स रोगी के लिए कुछ दवाएं भी हैं, जिसके माध्यम से रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है। एड्स को लेकर कई सारे मिथक और गलत जानकारियां भी व्याप्त हैं, जिसे दूर करने और एचआईवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को जानकारी दी जाती है कि एड्स को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी में औसत आयु भले ही कम हो जाती है लेकिन पीड़ित सामान्य जिंदगी जी सकता है। 
पहली बार एड्स की पहचान 1981 में हुई। लाॅस एंजेलिस के डॉक्टर ने पांच मरीजों में अलग अलग तरह के निमोनिया को पहचाना। इन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अचानक कमजोर पड़ गई थी। हालांकि पांचों मरीज समलैंगिक थे। इसलिए चिकित्सकों को लगा कि यह बीमारी केवल समलैंगिकों को ही होती है। इसलिए इस बीमारी को 'गे रिलेटेड इम्यून डिफिशिएंसी' (ग्रिड) नाम दिया गया। लेकिन बाद में दूसरे लोगों में भी यह वायरस पाया गया, तब जाकर 1982 में अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस बीमारी को एड्स नाम दिया।
पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में विश्व एड्स दिवस मनाया। हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाने का फैसला लिया गया। इस दिन को मनाने का उद्देश्य हर उम्र और वर्ग के लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करना है।
हर साल एक तय थीम पर विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। विश्व एड्स दिवस 2022 की थीम ' Equalize' है। इसका अर्थ है 'समानता', यानी समाज में फैली हुई असमानताओं को दूर करके एड्स को जड़ से खत्म करने के लिए कदम बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
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