क्या महत्व है, श्री गणेश जी की सूंड का, जानिए किस तरफ सूंड के रहने से क्या होता है।


गणेश जी के बारे में काफी आलौकिक कथाएं है, जिनमे गणेश जी की सूंड का किस दिशा में होने से क्या प्रभाव पड़ता है इसका भी उल्लेख है।


भगवान श्री गणेश जी की सूंड का विशेष महत्व, जानिए किस दिशा में सूंड होने से क्या होगा और ये क्या दर्शाता है। और पूजा करने की सही विधि क्या है। लोगो ने गणेश जी की मूर्ति देखी है, जिसमे उनकी सूंड दांए, बयां और सीधी रहती है आखिरी ये क्या दर्शाती है।
भगवान गणेश शिवजी और पार्वती जी के पुत्र है, और रिद्धि सिद्धि के पति। ऐसे में गणेश जी के बारे में हम बहुत कुछ जानते है, लेकिन कुछ सामान्य सी बात पर हम सोचते नही है की गणेश जी की सूंड आखिर कर दाएं बाएं या सीधी क्यू होती है। इसके पीछे अपने कारण और महत्व होते है।


सूंड बाएं दिशा की तरफ होना 

दरअसल अधिकांश गृहस्थ लोग गणेश जी की ऐसी मूर्ति खरदीते है, जिनमे उनकी सूंड बाई तरफ की और हो। दरअसल ये सुख शांति और समृद्धि का इशारा करती है।
बाई और गणेश जी का सूंड होना चंद्रमा के गुण होते है। ऐसे में घर में गणेश जी की इस तरह की मूर्ति लाने से वास्तु दोष से भी छुटकारा मिलता है।


दाहिनी सूंड वाले गणेश जी
गणेश जी की ऐसी प्रतिमा जिनमे उनकी सूंड दाहिनी तरफ हो ऐसे मूर्तियां आम नही दुर्लभ होती है, जिनकी पूजा बड़े धार्मिक कार्यक्रम में की जाती है। असल में दाई और सूंड होना सिद्धि का प्रतीक है, और सिद्धि उनकी पत्नियों में से एक है इसलिए गणेश जी की जो मूर्ति दाई और हो वो सिद्धिविनायक गणपति कहलाते है।

सीधी सूंड वाले गणेश जी

ये बहुत कम ही देखने को मिलता है, जिनकी सूंड सीधी हो, लेकिन इसका महत्व अत्यंत गहरा है। इसका मतलब होता है सुषमा नाडी खुली है और शरीर के सभी इंद्रिय के बीच अब एकता और भारमुक्त है।
ऐसे में सबकी अपनी अपनी श्रद्धा होती है, गणेश उत्सव में हर कोई गणेश जी की किसी भी दिशा में सूंड वाले गणपति की स्थापना करते है, बप्पा उन सभी को अपना आशीर्वाद देते है।
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